कद्दू वर्गीय फसलों में लौकी की फसल बहुत ही महत्वपूर्ण फसल होती है। लगभग पूरे साल ही लौकी उगाई जाती है। सब्जी के रूप में और दवा के रूप में लौकी की सब्जी का प्रयोग बड़े स्तर पर किया जाता है।लौकी की फसल में कई प्रकार के रोग लगते हैं ।जिससे इसकी उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। लौकी में लगने वाले रोगों के लक्षण और उसके नियंत्रण के उपाय पर आज हम चर्चा करेंगे।
लौकी के प्रमुख रोग -
● पत्ती झुलसा रोग -
लौकी की नई पत्तियों पर हल्के भूरे रंग के पत्ते दिखाई देते हैं। जो बाद में गहरे रंग के होकर और आकार में बड़े हो जाते हैं। धीरे - धीरे लौकी की पत्तियां झुलसी दिखाई देने लगती हैं। और आखिर में पूरा पौधा ही सूख कर मर जाता है।
उपचार
1- स्वस्थ बीजों का चयन करें। ( बीजों को संशोधित करके ही लगायें)
2- खेत में हर साल नयी फसल लगायें ( फसल चक्र के अनुसार)
3- फसल पर इन्डोफिल एम0 4 ग्राम/ लीटर की दर से छिड़काव करें।
4- लौकी के पौधों में नमी बनायें रखें। मिट्टी सूखने पर यह रोग बढ़ जाता है।
How to grow bottle gourd in pots in
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मौजेक रोग -
यह रोग विषाणु के द्वारा फैलाया जाता है।लौकी की फसल में इसके आने पर पत्तियों के बढ़वार रुक जाती है।और पत्तियां मुड़ जाती हैं ।लौकी के फल छोटे-छोटे बनने लगते हैं जिससे पूरी फसल की उपज कम हो जाती है। लौकी पर यह रोग चैंपा कीट द्वारा फैलाया जाता है।
उपचार -
इस रोग की रोकथाम के लिए नीम की पत्तियां और गोमूत्र मिलाकर काढ़ा बनाएं फिर इस मिश्रण का पौधों पर छिड़काव करें।
काढ़ा बनाने की विधि
नीम की पत्तियां 2 किलो
गौमूत्र - 5 लीटर
नीम की पत्तियों को गौमूत्र में मिलाकर आग पर तब तक गर्म करें जब तक आधा पानी ना रह जाये। फिर इस मिश्रण को छानकर अपने पंप में भरकर लौकी के पौधों पर सप्ताह में दो बार छिड़काव करें। इस छिड़काव से मौजेक बीमारी जड़ से खत्म हो जाएगी।
अनार पर फूल झड़ना कैसे रोकें
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चूर्णी फंफूदी रोग -
लौकी की फसल में लगने वाले सबसे खतरनाक रोग में से यह रोग है यह रोग ऐरीसाइफी सिकोरेसिएरम नामक फफूंदी के कारण होता है। लौकी की पत्तियां एवं तनाव पर सफेद दरदरा गोलाकार जाला दिखाई देने लगता है जो बाद में धीरे-धीरे पूरे पौधे को अपनी जकड़ में ले लेता है। पौधे की पत्तियां पीली पढ़कर सूखने लगती हैं । और लौकी के पौधे की बढ़वार रुक जाती है।
रोकथाम -
एक लीटर गौमूत्र में 2 ग्राम हींग मिलाकर मिश्रण तैयार करें। फिर इस मिश्रण का सप्ताह में दो बार लौकी के पौधे पर छिड़काव करें।
फल की मक्खी का रोग :-
लौकी के छोटे-छोटे फलों को सबसे ज्यादा हानि पहुंचाने वाला यह प्रमुख रोग है। इस रोग में एक मक्खी कीट छोए फलों में प्रवेश कर जाती है। और वहां अपने अंडे छोड़ देती है । इनअंडों से छोटी-छोटी सुंडी बाहर निकलती हैं। जो अन्दर ही अन्दर फल को सड़ा देती हैं। यह मक्खी विशेषकर खरीफ की फसल को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाती है।
रोकथाम -
1- 30-50 दिन पुराना 5 लीटर गौमूत्र किसी तांबे के बर्तन में और लगभग 3 किलो धतूरा तने, पत्तियां सहित उबालें। जब यह मिश्रण आधा ( 2.5 लीटर ) रह जाये ।तब इसे आग से उतारकर ठंडा कर छानकर रख लें और महीनेे में दो तीन बार लौकी के पौधों पर छिड़काव करें।
नोट - गौमूत्र ना होने पर वेस्ट डीकम्पोजर या ताजा पानी भी प्रयोग किया जा सकता है। लेकिन सबसे बेहतर गौमूत्र ही है।
विल्ट ( म्लानि) रोग -
लौकी के पौधों पर लगने वाले इस रोग में पौधा मुरछाकर सूख जाता है।पौधे की पत्तियां पीली पड़ जाती हैं ।तने वाला क्षेत्र सिकुड़कर सूख जाता है । इस रोग में सबसे पहले पौधे की जड़ का भीतरी भाग सूख जाता है इस कारण पौधे की वृद्धि रुक जाती है। और फल- फूल आना बंद हो जाता है।
रोकथाम :-
1- जहां पर आप ने लौकी की फसल लगाई है उसके चारों तरफ साफ सफाई रखें । पानी इकट्ठा ना होने दें। खरपतवार निकाल दें क्योंकि गंदगी से यह रोग बहुत जल्दी फैलता है।
2- पौधों में कच्ची गोबर खाद का प्रयोग भूलकर भी ना करें क्योंकि कच्ची खाद के प्रयोग से यह रोग बहुत तेजी से फैलता है।
3- लौकी के बीज को जमीन में लगाने से पहले वाबिस्टीन से बीज को संशोधित करें।
मिली बग रोग -
यह सफेद रंग का चिपचिपा बहुत छोटा कीट होता है यह समूह में रहते हैं।और पौधे की पत्तियों पर चिपक कर अपने अन्डे छोड़ देते है। इनके ऊपर सफेद रंग का आवरण चढ़ा होता है। मिलीबग पौधे की पत्तियों से चिपक कर पौधे का रस चूसते रहते हैं जिससे पत्तियां सिकुड़ कर सूख जाती हैं।और आखिर में पौधा भी मर जाता है। मिलीबग का पौधे पर बहुत तेजी से प्रकोप होता है। अगर समय से इसका निदान नहीं किया गया तो यह जल्दी ही पूरी फसल को अपने आगोश में ले लेता है।
रोकथाम -
1- 200 ग्राम नीम की पत्तियां
100- तीखी हरी मिर्च
50ग्राम - लहसून
1 लीटर गौमूत्र / WCD/ ताजा पानी
नीम की पत्तियां मिर्च और लहसुन को अच्छे तरीके से कूटकर चटनी बना लें। फिर इस चटनी को गोमूत्र में डालकर लगभग 10 मिनट हल्की आग पर उबालें। फिर इस मिश्रण को ठंडा कर छानकर पंप में भरकर रख लें ।मिलीबग का अटैक होने पर सप्ताह में दो बार इस मिश्रण का छिड़काव अपने पौधों पर करें जल्द ही मिलीबग आपके पौधे से खत्म हो जाएंगे।
लौकी पर लगने वाले रोग और उनका उपचार
Reviewed by homegardennet.com
on
अप्रैल 14, 2020
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Loki ka pata dhire dhire pila hokar sukh ja raha hai
जवाब देंहटाएंLoki ki tana me lasa niklta hy
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी
जवाब देंहटाएंकुछ सालों से जब भी हमने लोकी की बेल लगाई तो शरुआत में पोव बहुत स्वस्थ होता है ज्यों ही फल आना शुरू होता है तने से भूरे रंग का गोंद निकलने के बाद बेल मुरछा कर सूख जाती है हर बार ऐसा ही हो रहा है कृपया बताएं ये कौन सा रोग है।
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