नमस्कार आज हम बात करेंगे ऐसे पौधों के बारे में जो आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा देंगे। प्रकृति ने हमें ऐसे बहुत से पौधे दिए हैं जो औषधीय रूप से हमारे लिए बहुत ज्यादा उपयोगी हैं ।आज ऐसे ही पांच पौधों की जानकारी हम आपको देने वाले हैं जो बड़ी आसानी से आपके परिवेश में मिल जाएंगे। आप उन्हें अपने छोटे से बगीचे में कहीं भी लगा सकते हैं। इस समय कोरोना जैसी महामारी जो कि पूरी दुनिया को तहस-नहस और परेशान किए हुए हैं । और अभी तक इस बीमारी का कोई सही उपचार मिल भी नही पाया है। तब तक सिर्फ और सिर्फ आप अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर ही इस भयंकर बीमारी से बच सकते हैं। तो चलिए आज हम आपको बता देते हैं कि यह कौन से पौधे हैं जो आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं और दैनिक जीवन में आप इन्हैं कैसे प्रयोग करेंगे?।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले पांच पौधे -
1- ऐलोवेरा ( Aloevera)
यह कम पानी और गर्म मौसम में आसानी से उगायें जाने वाला मरुस्थलीय कैक्टस की तरह दिखने वाला पौधा है। यह औषधीय रूप से काफी उपयोगी पौधे है। इसकी पत्तियों में चिपचिपा जैल की तरह दिखने वाला द्रव भरा होता है। यही द्रव गुणों की खान है। इसे ग्वारपाठा और घृतकुमारी नाम से भी जाना जाता है।
आयुर्वेद में एलोवेरा के बहुत सारे गुणों का वर्णन किया गया है यह अस्थमा पी लिया डायबिटीज कहां से गैस की समस्या पथरी आप जैसे अनेक रोगों को जड़ से खत्म कर देता है बस आपको इसका प्रयोग करना आना चाहिए
एलोवेरा की पत्तियों से निकलने वाला रस या खुदा ही इसकी असली औषधि है यह इंसान की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी काफी हद तक बढ़ा देता है सर्दी जुखाम या खांसी होने पर 5 से 10 ग्राम एलोवेरा के ताजे रस में शहद मिलाकर सेवन करने पर जुखाम बहुत जल्दी सही हो जाता है।
ऐलोवेरा कैसे प्रयोग करें ?
अगर आप अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना चाहते हैं तो एलोवेरा रस का सेवन नियमित रूप से करना शुरू कर दीजिए।सुबह सुबह खाली पेट एक से दो चम्मच ताजा एलोवेरा का रस पियें और उसके बाद ऊपर से एक गिलास ताजा पानी पी ले।लगातार 1 से 2 सप्ताह इस तरीके से आप एलोवेरा के रस का सेवन करते रहें। ऐलोवाला रस की मात्रा सीमित ही रखनी है।इस प्रकार एलोवेरा के रस का सेवन करने से आपको पेट संबंधी ,किडनी संबंधी, दाद खाज खुजली संबंधी जो परेशानियां हैं वह धीरे-धीरे खत्म हो जाएंगीं। क्योंकि एलोवेरा का रस पेट संबंधी अनेक बीमारियों को खत्म कर देता है साथ ही साथ एलोवेरा शरीर में ऊर्जा बढ़ाता है। यदि आप नियमित रूप से एलोवेरा का जूस पीते हैं तो इससे आपके शरीर में मिनरल और विटामिंस की पूर्ति होती रहती है। जिससे आपके शरीर में स्फूर्ति आ जाती है और आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। इस प्रकार आप एलोवेरा के पौधे को घर पर अपने बगीचे में या छत पर किसी बड़े गमले में बड़ी आसानी से होगा सकते हैं।
2- तुलसी (Tulsi /basil )
इंसान की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले जो दूसरा महत्वपूर्ण पौधा है वह है तुलसी, जी हां हमारे आपके सभी के घरों में पाए जाने वाले एक छोटा सा पौधा जिसे हम तुलसी बोलते हैं। यह बहुत ही उपयोगी पौधा है। तुलसी धार्मिक रूप से जितना पवित्र है उससे कहीं ज्यादा यह औषधि रूप से फायदेमंद होता है।तुलसी की पत्तियां ,मंजरी ,बीज, जड़ ,छाल यानि पौधे का हर हिस्सा औषधीय रुप से काम में आता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाने वाला पौधा तुलसी ही है अगर आप तुलसी का दैनिक जीवन में प्रयोग करना शुरू कर देंगे तो निश्चित ही आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाएगी।
किन रोगों को दूर करती है तुलसी ?
सर्दी खांसी होने पर तुलसी की चाय या तुलसी के रस का सेवन काफी फायदेमंद होता है ।कफ संबंधी परेशानी होने पर तुलसी रस काली मिर्च के चूर्ण के साथ खाना फायदेमंद होता है। पेट दर्द होने पर तुलसी रस और अदरक का रस समान मात्रा में लेने से पेट दर्द में आराम मिल जाता है। तुलसी रस हमारे पाचन तंत्र को सुचारू रूप से चालू कर देता है।बुखार या फ्लू होने पर तुलसी के पत्तों को काली मिर्च,सोंठ और चीनी के साथ पानी में उबालकर काढ़ा बनाया जाता है। इस काढ़े के सेवन करने से बुखार जैसी समस्या में आराम मिलता है।तुलसी की पत्तियों के सेवन करने से मलेरिया बुखार का खतरा भी कम हो जाता है। किसी व्यक्ति के कान में दर्द होने पर तुलसी की पत्तियों का गुनगना रस डालने पर दर्द में आराम मिल जाता है।
तुलसी की पत्तियों को चबा चबा कर खाने से खून साफ हो जाता है साथ ही साथ व्यक्ति की स्मरण शक्ति भी मजबूत होती है। पुरुषों में ओज ( पौरूष शक्ति) वृद्धि के लिए तुलसी के बीजों का दूध के साथ प्रयोग किया जाता है।इस तरीके से हम पाते हैं कि तुलसी हमारे लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद है आप अपने दैनिक जीवन में तुलसी का किसी ना किसी रूप में प्रयोग करना शुरू कर दीजिए ।दैनिक जीवन में तुलसी की पत्तियों का प्रयोग करने से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाएगी।
गर्म पर तुलसी का एक पौधा जरूर लगायें। और चाय या दही के साथ तुलसी की पत्तियों का प्रतिदक सेवन जरूर करें। चाय बनाते समय तुलसी की चार पांच ताजा पत्तियां, अदरक और दालचीनी लें और गुड़ की कम दूध की चाय बनाकर पीयें।
दही,छाछ में तुलसी की दो तीन पत्तियां डालकर उसमे चीनी डालकर सुबह सुबह सेवन करें।
3- गिलोय ( giloy ),ayurvedic guduchi
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए हमारे आयुर्वेद में बहुत सारे नुस्खे बताए गए हैं। उनमें गिलोय का महत्व सबसे ज्यादा बताया गया है। गिलोय के सेवन करने से शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता मिलती है।हमारे शरीर में दो तरह के रक्त कोशिकाएं होती हैं लाल रक्त कोशिकाएं यानि आरबीसी और श्वेत रक्त कोशिकाएं यानी के डब्ल्यूबीसी। श्वेत रक्त कोशिकाएं अगर ज्यादा मजबूत होगी तो हमारा शरीर बाहरी रोगों से लड़ने में ज्यादा सक्षम होगा।गिलोय एक ऐसी औषधि है जो सीधे-सीधे डब्ल्यूबीसी को मजबूत करती है यानी के सफेद रक्त कोशिकाओं की सख्यां बढ़ा देती है।इसलिए इस समय जब पूरी दुनिया में कोरोना जैसी महामारी अपना प्रकोप बनाए हुए हैं आप अपने दैनिक जीवन में गिलोय रस का प्रयोग करना शुरू कर दें ।जिससे आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े जाए।
गिलोय रस
गिलोय जूस या रस का नियमित सेवन करने से हमारी रोग प्रतिरोधक पावर बढ़ जाती है। गिलोय रस सर्दी जुकाम समेत अनेक तरह की संक्रामक बीमारियों को हमसे दूर रखता है। गिलोय में एंटीपायरेटिक गुण होते हैं जो के पुराने से पुराने बुखार को भी दूर कर देते हैं। इस वजह से मलेरिया स्वाइन फ्लू और डेंगू जैसी गंभीर बीमारियों में भी गिलोय रस के सेवन की सलाह दी जाती है। आजकल चिकनगुनिया बुखार को दूर करने में गिलोय का काफी बड़ा योगदान रहा है। गिलोय में कई तरह के औषधीय तत्व पाए जाते हैं। गिलोय में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण पाया जाता है इसलिए यह सांसो से संबंधित रोगों में भी आराम दिलाने में प्रभावशाली रहती है। गिलोय कफ को नियंत्रित करती है साथ ही साथ यह अस्थमा और खांसी जैसे रोगों से भी हमें बचाती है।
इस प्रकार हम देखते हैं कि गिलोय हमारे स्वास्थ्य रक्षा के लिये काफी उपयोगी है। इसलिए आप तुलसी काली मिर्च,और गिलोय का शहद के साथ काढ़ा बनाएं और सप्ताह में एक दो बार चाय के तरह से इस काढ़े का सेवन करें जिससे आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाएगी।
गिलोय रस कैसे प्रयोग करें -
गिलोय रस पीने का सबसे सही समय सुबह का होता है खाली पेट एक गिलासगुगुने पानी में 5ml गिलोय रस ,एक चम्मच शहद और एक चुटकी काली मिर्च पाउडर मिलाकर प्रतिदिन इसका सेवन करें ।गिलोय रस पीने से मोटापे में भी आराम मिलता है। कब्ज और बवासीर भी दूर होता है।गर्भवती महिलाएं और छोटे बच्चों को गिलोय रस का सेवन ना कराएं। भोजन करने के कम से कम दो घन्टे तक गिलोय रस का प्रयोग ना करें।
4- आंवला ( Amla )
सुबह-सुबह एक कच्चा आंवला चबाकर खाने के बाद ऊपर से एक गिलास पानी पीने के कई फायदे हैं। अगर आप सप्ताह में दो-तीन दिन इस तरीके से आंवला खाते हैं।तो कुछ ही दिनों में आंखों के नीचे से काले धब्बे गायब हो जाएंगे।सफेद बाल काले होने लगते हैं त्वचा में चमक आ जाती है साथ ही साथ मधुमेह, बवासीर,नकसीर और,दिल की बीमारियां जैसे गंभीर समस्या में भी आंवला का सेवन काफी उपयोगी रहता है। आंवला विटामिन सी का अच्छा स्रोत है। एक आंवले में तीन संतरे के बराबर विटामिन C की मात्रा होती है। आंवला खाने से लीवर मजबूत होता है।आंवले का सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है।आंवले का जूस सुबह -2 पिया जा सकता है आंवले का जूस का फिल्टर का काम करता है यानी कि खून साफ करने में काफी उपयोगी है। आंवला खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है यह बालों को सही रखता है। अगर आप ताजा आंवला नहीं खा पाते तो सुबह नाश्ते में आंवले का मुरब्बा खाने का अभ्यास जरूर डाल दीजिए। डायबिटीज के मरीजों के लिए आंवला खाना बहुत ही ज्यादा फायदेमंद रहता है। जुकामम होने पर या पेशाब में जलन होने पर आंवला रस का सेवन काफी फायदेमंद रहेगा। कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि किसी भी तरीके से आंवले का सेवन कीजिए। आंवला सेवन से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाएगी। आप चाहे कच्चे आंवले का मुरब्बा खाएं या आंवले की चटनी का प्रयोग करें यह आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देगा। आंवले का पौधा आप अपने बगीचे में लगा ले दो-तीन सालों में बहुत अच्छे लगते हैं
5- कच्ची हल्दी ( Haldi )
कच्ची हल्दी औषधि के रूप में हमारे यहां लंबे समय से प्रयोग की जाती रही है।रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए हल्दी बहुत ही अच्छा माध्यम है।शरीर के विषैले तत्वों को बाहर निकालने और रक्त को साफ करने के लिए हल्दी का प्रयोग काफी फायदेमंद रहता है।शरीर के आंतरिक अंगों में चोट लगने पर या अंदरूनी भागों में विषैले तत्व हो जाने पर हल्दी का जूस या हल्दी मिला हुआ दूध पीना फायदेमंद रहता है।
कच्ची हल्दी के फायदे
1- कच्ची हल्दी कैंसर से लड़ने में समर्थ है। पौधों में होने वाले प्रोटेस्ट कैंसर के सेल को बढ़ने से रोकती है।
2- कच्ची हल्दी का प्रयोग सूजन होने , गठिया ,जोड़ों के दर्द में लाभदायक है इसके सेवन करने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।
3-हल्दी में वजन कम करने का गुण पाया जाता है। इसलिए जो व्यक्ति अपना वजन कम करना चाहते हैं वह हल्दी का सेवन करना शुरू कर दें। कच्ची हल्दी लीवर को स्वस्थ रखती है लीवर जो के शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकालता है।
सावधानी-
अगर आपके शरीर की तासीर गर्म है। तो इसका प्रयोग सीमित मात्रा में या सोच समझकर ही करना चाहिए।अगर आपके शरीर में इसके प्रयोग करने से गर्मी बढ़ जाती है कोई और समस्या होती है तो उसका प्रयोग बंद कर दें।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले पांच पौधे
Reviewed by homegardennet.com
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जून 15, 2020
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