बैंगन की उन्नत खेती कैसे करें
बैगन एक अत्यंत महत्वपूर्ण सब्जी है इसकी खेती प्राचीन काल से होती आ रही है बैगन का उपयोग सब्जी, पकोड़े ,भरता और कलौंजी के रूप में किया जाता है।
जलवायु---
बैगन को एक लंबे गर्म मौसम की आवश्यकता होती है इन पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए 20 से 30 सेंटीग्रेड तापमान की आवश्यकता पड़ती है जब दैनिक औसत तापमान 18 सेंटी की रेट से नीचे हो तो ऐसे समय बैगन के पौधों की रूपा ही नहीं करनी चाहिए।
भूमि--
बैगन विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है इसके लिए जल निकास की उचित व्यवस्था हो इसके लिए बलुई दोमट या मटियार दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।
उन्नत किस्में--
बैगन की उन्नत किस्मों को फलों के आधार पर दो भागों में बांटा गया है ।
(1) लंबे बालों वाली प्रमुख किस्में--
अन्नामलाई नीलकंठ ,आजाद क्रांति ,पंत सम्राट, पंजाब बैसाखी, पंजाब चमकीला ,पूसा क्रांति ,पूसा भैरव ,पूसा अनुपम, आर्कासील पंजाब सदाबहार ,पूसा संकर ,पूसा पर्पल ।
(2) गोल फलों वाली प्रमुख किस्में--
एम वी एच -1 ,एम वी एच- 2, अर्का नवनीत, जामुनी गोल, मंजरी गोटा ,पंजाब बहार, पूसा संकर-6, पूसा संकर-9, पूसा उपकार ,पूसा अंकुर ,पूसा उत्तम।
प्रमुख किस्मों की विशेषताएं---
पंत सम्राट--- यह एक अगेती किस्म है जिसके फल लंबे व बैगनी रंग के होते हैं जो गुच्छे में लगते हैं वुवाई के 60- 70 दिन बाद यह तोड़ने योग्य हो जाते है।
पूसा अनमोल---
यह एक शंकर किसमें है जिसके फल लंबे एवं बैगनी रंग के होते हैं इसकी भंडारण क्षमता अधिक होती है ,और इसकी पैदावार 200 से 250 कुंतल प्रति हेक्टेयर होती है।
पूसा हाइब्रिड--- इसके फल गोल आकार के होते हैं। इसकी फसल लगभग 75 से 80 दिन में तैयार हो जाती है। इसकी उपज क्षमता 500 से 600 कुंतल प्रति हेक्टेयर होती है।
पूसा क्रांति--- इस किस्म के फल 15 से 20 सेमी लंबे और बैगनी रंग के होते हैं इसके फल से अच्छी सब्जी और भरता तैयार होता है गर्मी व सर्दी दोनों मौसम में इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। यह उत्तरी भारत के लिए सर्वोत्तम किस्म है।
आजाद क्रांति---
यह एक अगेती किस्म है इसके फल लंबे एवं बैगनी रंग के होते हैं यह उत्तर प्रदेश के लिए बहुत ही उपयोगी किस्म है इसका औसत उत्पादन 300 कुंतल प्रति हेक्टेयर है।
खेत की तैयारी-
बैगन को हर प्रकार की जमीन में उगाया जा सकता है यह जमीन दोमट प्रकृति की हो और उसमें जीवांश की मात्रा अच्छी हो तो उपाज अच्छी मिलती है
बुवाई का समय----
गर्मियों में---- मई-जून
सर्दियों में---- नवंबर -दिसंबर
वर्षा ऋतु में---- मार्च-अप्रैल
खाद तथा उर्वरक ----::
अधिक उपज के लिए खेत की तैयारी करते समय 250 से 300 कुंतल गोबर की सड़ी हुई खाद खेत में मिला देनी चाहिए इसके अतिरिक्त 120 प्रोग्राम नत्रजन तथा 60 किलोग्राम फास्फोरस और 60 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से तत्व के रूप में देना चाहिए ।
रोपाई----रोपाई के लिए पौधे तैयार होने में लगभग 4 से 6 सप्ताह का समय लगता है। पौधे की रोपाई के लिए 75 सेंटीमीटर की दूरी पर बनी पंक्तियों में 50 सेमी की दूरी पर रोपण किया जाता है।
सिंचाई तथा जल निकास--
रोपाई के पश्चात एक हल्की सिंचाई करें या पौधों में सुबह शाम पानी दे, गर्म मौसम में 8 से 10 दिन के अंतर पर और सर्दी के मौसम में 12 से 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए। वर्षा ऋतु में अधिक वर्षा होने के कारण खेत में आवश्यकता के अनुसार अधिक पानी इकट्ठा हो जाए है तो ऐसी स्थिति में फालतू पानी को खेत से बाहर निकाल देना चाहिए नहीं तो पौधे नष्ट हो जाएंगे।
कीट नियंत्रण---
शाखा एवं फल बेधक कीट--
इस कीट सुड़ियां बैंगन के पौधे के तना एवं पत्तियों के डंठल में घुस जाती हैं और उन्हें अंदर से खाती हैं। जब फल लगते हैं तब यह किट छेद करके उन्हें खाते हैं जिसके कारण फल खाने योग्य नहीं रहते इस कीट का प्रकोप बरसा कालीन समय में अधिक होता है।
रोकथाम---
(1) कीट ग्रसित शाखाओं और फलों को तोड़कर नष्ट कर दें।
(2) नीलगिरी की 40 ग्राम मात्रा को पीसकर प्रति लीटर की दर से पानी में घोलकर 10 दिन के अंतर पर छिड़काव करे।
लाल माइट--
यह एक छोटा सा कीट है जो पत्तियों का रस चूसता है और उन्हें कमजोर बना देता है जिससे पत्तियां पीली पढ़कर गिरने लगती हैं।
रोकथाम---इस कीट की रोकथाम के लिए साइपरमेथिन दवा का 0.15% का घोल छिड़कना चाहिए।
रोग नियंत्रण
छोटी पत्ती रोग----
यह रोग साइको प्लाजमा के कारण होता है जो सिस्टमय फाईसाइटिस नामक कीट से फैलता है रोगी पौधा बोना रह जाता है पत्तियां आकार में छोटी रह जाती है पत्तियों का डंठल भी काफी छोटा रह जाता है इन पौधों पर फल आ भी जाते हैं तो वे अत्यंत कठोर होते हैं।
रोकथाम---
रोगी पौधों को उखाड़कर जला देना चाहिए। लीफ होपर से फसल को बचाने के लिए मेलाथियान का 0.1 परिषद घोल का छिड़काव करना चाहिए।
फलों की तोड़ाई---
जब फसल पूर्ण रूप से विकसित हो जाए और उनमें रंग भी आ जाए तब उन्हें तोड़ देना चाहिए, फलों को देरी से तोड़ने पर फल कठोर हो जाते हैं और उनमें बीज पक जाते हैं।
बीज उत्पादन-- बीज उत्पादन के लिए खेत में ही उन पौधों का चुनाव कर ले जिनमें उत्तम स्वास्थ्य एवं अच्छे फल लगे हो ।इन फलों को पौधों पर ही पकने के लिए छोड़ देना चाहिए। जब फल अच्छी तरह से पक जाए तो फलों को तोड़कर छिलका निकाल दें तथा गूदे को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर पानी में भिगो दें तथा बीजों को गूदे से अलग कर छाया में सुखाने के लिए रख दें ।
बैंगन की उन्नत खेती कैसे करें ?
Reviewed by homegardennet.com
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मई 21, 2020
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