भारत देश में नीम एक बहुत बड़ी औषधि है, जिसे कई हजारों सालों से उपयोग किया जा रहा है| आज के समय में बहुत सी अंग्रेजी दवाइयां नीम की पत्ती व उसके पेड़ से बनती है| नीम के पेड़ की हर एक चीज फायदेमंद होती है, बहुत सी बड़ी बड़ी बीमारियों का इलाज इससे किया जाता है| भारत देश में नीम का पेड़ घर में होना शुभ माना जाता है, लोग अपने घर में इसे लगाते है ताकी इसके फायदे उठा सके| भारत से नीम के पत्तों का निर्यात 34 देशों में किया जाता है|
नीम के उपयोग
दवा के रूप में
नीम की पत्ती लेप्रोसी , आँख की बीमारी , नकसीर , पेट के कीड़े , पाचन , भूख में कमी , त्वचा के रोग , दिल
और खून की नसों की बीमारी , बुखार , डायबिटीज , मसूड़े , लिवर आदि परेशानी दूर करने में काम आती हैं।
और खून की नसों की बीमारी , बुखार , डायबिटीज , मसूड़े , लिवर आदि परेशानी दूर करने में काम आती हैं।
नीम की टहनी मलेरिया में , पेट या आंतों के अल्सर , स्किन डिजीज , दांत और मसूड़ों की परेशानी आदि में काम आती है।
नीम की दातुन का उपयोग आज भी कई लोग करते है। यह दातुन बाजार में भी मिलती है। इससे दांत में प्लाक जमनाकम होता है तथा मसूड़ों में सूजन या खून आना , मुंह से बदबू आना आदि से बचाव होता है।
नीम के फूल Neem ke fool पित्त कम करने में , कफ मिटाने में तथा पेट के कीड़े मिटाने में काम आते हैं।
कीटनाशक के रूप में
नीम की पत्तियों को अलमारी में रखा जाता है ताकि कपड़े कीटों से बचे रहें। इन्हे गेहूं या चावल आदि भरने से पहले ड्रम या पीपे आदि में नीचे बिछाया जाता है ताकि उनमे कीड़े ना पड़ें। नीम की पत्तियां जलाकर मच्छरों को दूर किया जाता है। नीम की पत्ती का खाद बनता है , जिसका उपयोग करने से फसल कई प्रकार की बीमारियों से बच सकती हैं। घर में गमलों में लगाए जाने वाले पौधे पर पानी में नीम का तेल डालकर छिड़काव करने से पौधे पर लगे कीट नष्ट हो जाते हैं। निम्बोड़ी के बीज को पीस कर पाउडर बनाया जाता है फिर इसे पानी में रात भर भिगोते हैं। इस पानी को फसल पर छिड़कने से यह कीटों से बचाव करता है। यह कीड़ों को सीधे ही नहीं मारता लेकिन इसके छिड़कने से कीड़ो का पत्ती खाना , पत्तियों पर अंडे देना आदि बंद हो जाता है। इस तरह से फसल ख़राब होने से बच जाती है। नीम कीटों का अंडे से बाहर निकलना भी रोकता है। नीम का तेल दीमक के उपचार में भी काम करता है।
खाने पीने में
नीम के फूल का उपयोग दक्षिण भारत में मनाये जाने वाले त्यौहार ‘ उगादी ‘ के समय किया जाता है। नीम के फूल और गुड़ खाकर ‘उगादी’ त्यौहार मनाया जाता है। दक्षिण भारत में कर्नाटक में नीम के ताजा फूल से कढ़ी बनाई जाती है। ताजा फूल ना हों तो सूखे फूल काम में लिए जाते हैं। तमिलनाडु में इमली से बनाई जाने वाली रसम में इसे डाला जाता है।
बंगाल में नीम की कोमल पत्ती और बैंगन की सब्जी बनाई जाती है। इसे चावल के साथ खाया जाता है।
महाराष्ट्र में गुडी पड़वा यानि नववर्ष की शुरुआत , थोड़ी मात्रा में नीम की पत्ती या उसके रस का सेवन करके की जाती है। इससे मौसम के बदलाव के कारण होने वाली परेशानी तथा पित्त विकार से बचाव होता है।
नीम के फायदे
वाइरस का संक्रमण
वाइरस के कारण होने वाले चिकन पॉक्स , स्माल पॉक्स यानि चेचक या बोदरी जैसी बीमारियों को फैलने से रोकने में नीम का उपयोग किया जाता रहा है। नीम की पत्ती को पीस कर लगाने से त्वचा पर दूसरी जगह वाइरस नहीं फैलता। यह हर्पीज़ जैसे हानिकारक वाइरस को भी मिटा सकता है। चिकन पॉक्स होने पर नीम की पत्तियां पानी में उबाल कर इस पानी से नहाना बहुत लाभदायक होता है। इससे त्वचा को आराम मिलता है और यह संक्रमण अन्य स्थान पर नहीं फैलता।
त्वचा के रोगों में नीम की पत्ती पानी में उबाल कर इस पानी से नहाने से बहुत लाभ होता है। इससे त्वचा की खुजली या जलन आदि में भी आराम मिलता है। यह पानी पीने से पेट के कीड़े नष्ट होते हैं और आंतों की कार्यविधि सुधरती है।
हृदय की देखभाल
नीम की पत्ती पानी में उबाल कर यह पानी पीने से नसों में लचीलापन आता है इससे हृदय पर दबाव कम होता है। यह हृदय की धड़कन नियमित करने में सहायक होता है और इस प्रकार उच्च रक्तचाप को कंट्रोल करता है।
बालों के लिए
नीम की पत्ती डाल कर उबाला हुआ पानी से सिर धोने से डैंड्रफ ठीक होती है। बाल गिरना कम हो जाते हैं।
आँखों के लिए
ताजा नीम की पत्तियाँ पानी में उबाल कर इस पानी के ठंडा होने पर आँख धोने से कंजंक्टिवाइटिस तथा आँख लाल होना , आँख में जलन आदि में लाभ होता है।
मलेरिया
नीम की पत्तियां का उपयोग मलेरिया बुखार को रोकने में कारगर पाया गया है। नीम की पत्तियां मच्छर को पनपने से रोकती हैं।
जोड़ों का दर्द
नीम का तेल लगाने से मांसपेशियों तथा जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।
कीड़े का काटना
नीम की पत्ती पीस कर लगाने से कीड़े के काटने के कारण होने वाली सूजन और जलन में आराम मिलता है।
स्किन
गले का संक्रमण
नीम के पानी के गरारे करने से गला ठीक होता है। नीम की कोमल पत्तियां खाने से सर्दी ,जुकाम, फ्लू ,वाइरल बुखार आदि में आराम आता है।
नीम के उपयोग में सावधानी
नीम एक औषधि है। किसी भी औषधि को लेने के कुछ नियम परहेज आदि होते है अन्यथा औषधि नुकसानदेह भी हो सकती है। नीम के उपयोग में भी सावधानी आवश्यक है। अतः इन बातों का ध्यान जरूर रखें।
बच्चों के लिए नीम का तेल या पत्ती का उपयोग नुकसान देह हो सकता है। छोटे बच्चों के लिए नीम विषैला साबित हो सकता है। इससे उल्टी , दस्त , चक्कर आना , बेहोशी आदि लक्षण प्रकट हो सकते हैं। छोटे बच्चों को नीम की पत्ती या तेल आदि मुंह के द्वारा नहीं दिया जाना चाहिए।लम्बे समय तक नीम के तेल का उपयोग हानिकारक होता है। इससे किडनी और लीवर को नुकसान हो सकता हैगर्भावस्था में तथा स्तनपान कराने वाली माँ को नीम की पत्ती नहीं खानी चाहिए। नीम का सेवन गर्भपात का कारण बन सकता है। डायबिटीज की दवा चल रही हो तो नीम का प्रयोग सावधानी से करना चाहिए। नीम भी रक्त में शुगर की मात्रा को कम करता है।यदि बच्चा चाहते हों तो नीम का उपयोग नहीं करना चाहिए। यह शुक्राणु को कमजोर कर सकता है। गर्भधारण कैसे हो जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।यदि किसी प्रकार अंग प्रत्यारोपण का ऑपरेशन करवाया हो तो नीम का उपयोग नहीं करना चाहिए। इससे दवा का असर कम होने की संभावना होती है।किसी भी प्रकार के ऑपरेशन के आस पास के दिनों में नीम का प्रयोग नहीं करना चाहिए।इम्यून सिस्टम से सम्बंधित दवा चल रही हो तो नीम के कारण दवा का असर कम हो सकता है , अतः सावधान रहेंयदि कोई ऐसी दवा चल रही हो जिसमे लिथियम हो तो नीम का उपयोग नुकसानदेह हो सकता है अतः चिकित्स्क की सलाह जरूर लें।
दवा के रूप में नीम के उपयोग
Reviewed by homegardennet.com
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अक्टूबर 12, 2017
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