पपीते को कैसे उगाएं

आज मै आपको बताऊगा कि पपीते की खेती कैसे उगाए| पपीते की खेती में कम खर्चा और लाभ ज्यादा होता है| पपीता खाने में स्वादिष्ट लगता है| पपीते में विटामिन ए ,सी और इ पाया जाता है| पपीते में एक पपेन नामक पदार्थ भी पाया जाता है| जो अतिरिक्त चर्बी गलाने के काम आता है| पपीता कम समय में तैयार होने वाला फल है| जिसे कच्चे तथा पके रूप में प्रयोग किया जाता है| और पपीते की खेती दिन पे दिन बढ़ती जा रही है |
पपीते की रोपाई करने का समय
पपीते के पौधे वर्ष भर में 3 बार लगाए जा सकते हैं |
(1 ) जुलाई -अगस्त |
(2 ) सितम्बर -अक्टूबर |
(3 ) फरवरी -मार्च |
रोपण
अच्छी तरह से तैयार खेत में 2x 2 मीटर की दूरी पर 50x50x50 सेमी आकर के गड्डे मई में खोद कर 15 दिन के लिए खुला छोड़ देते हैं| इसलिए गड्डो को अच्छी तरह से धूप लग जाए तथा हानिकारक कीड़े -मकोड़े नष्ट हो जाए |गड्डो की आधी मिट्टी एवं आधा सड़ी हुई गोबर की खाद और फोरेट 10 जी 2.5 ग्राम मिलाकर इस प्रकार भरना चाहिए| कि गड्डा जमीन से 10-15 सेमी ऊंचा रहे| गड्डो की भराई की बाद सिंचाई कर देनी चाहिए| जिससे मिट्टी अच्छी तरह से बैठ जाये एक गड्डे में थोड़ी -थोड़ी डोर पर दो -तीन पौधे लगाने चाहिए| रोपण के बाद पौधो के अछि तरह से सिंचाई कर देनी चाहिए|
भूमि
पपीता के लिए दोमट भूमि सबसे बेहतर होती है| मध्यम काली या जलोढ़ मृदायें भी इसके लिए उपयुक्त होती है| जल प्लावन से प्रभावित मृदायें पपीता के लिए उपयुक्त नहीं है|
जलवायु
पपीता उष्ण जलवायु का पौधा| है जिसे उपोष्ण जलवायु में भी उन क्षेत्रो में उगाया जा सकता है| जहाँ पाले प्रभाव काम होता है| सफल उत्पादन के लिए खुली धूप व सिंचाई के प्रबंध होने चाहिए| इसके लिए गर्मियों में 43 डिग्री C से ऊपर तथा सर्दियों में 4.5 डिग्री C से नीचा नहीं होना चाहिए|
सिंचाई
पपीते को सर्दियों 10 -12 दिन तथा गर्मियों में 6 -8 दिन के अंदर से सिंचाई देना चाहिए| वर्षा ऋतु में ठीक प्रकार से नहीं होती है| तो एक -दो सिंचाइयाँ दे दी जाती है| पपीते की अच्छी पैदावार लेने के लिए नियमित सिंचाई देनी चाहिए|
निराई - गुड़ाई
पपीते की बागवानी में खरपतवार नियंत्रण के लिए 3 - 4 बार निराई - गुड़ाई करनी चाहिए| निराई - गुड़ाई दौरान पौधे के चारो तरफ मिट्टी भी चढ़ा देनी चाहिए| जिससे तेज हवा से पौधे गिर न सकें|
कीट नियंत्रण
(1) रेड स्पाइडर - माइट ___ इस कीट का प्रकोप पत्तियों व फलो पर होता है यह कीट पत्तियों से रस चूसता है| जिससे पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं
रोकथाम
इस कीट के नियंत्रण के लिए मेलाथिन 50 ई० सी० के 0.1 प्रतिशत घोल कर छिड़काव करें |
(2 ) माहू __ इस कीट के प्रौढ़ तथा शिशु पोधो से रस चूसते हैं और पोधो को हानि पहँचाते हैं तथा रोग फैलाने में मदद करते है|
रोकथाम
इसकी रोकथाम डायमेथोएट 30 ई० सी० 1.5 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए|
कीट रोगो से बचाव
कीट रोगो से बचाव
पपीते को कैसे उगाएं // How to grow papaya
Reviewed by homegardennet.com
on
सितंबर 14, 2017
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