नमस्कार दोस्तों
Gardening में vegetable gardening का अपना ही आनदं है घर और पर अपने द्वारा उगाई गई सब्जी खाने का मजा ही कुछ अलग है| सर्दियों में हरी सब्जियों की बहार रहती है उन्ही सब्जियों में से एक सब्जी है मटर की सब्जी ,आज हम आपको मटर की खेती के विषय में बताएगें | मटर में प्रचुर मात्रा मे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फास्फोरस, रेशा, पोटेशियम एवं विटामिन्स पाया जाता है। स्वाद एवं पौष्टिकता की दृष्टि से दलहनी फसलो मे से मुख्य फसल है। देश भर मे इसकी खेती व्यावसायिक रूप से की जाती है।
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मटर की किस्में
सब्जियों की मटर के किस्मो को दो वर्गो मे विभाजित किया गया है जिसमे से एक फील्ड मटर व दूसरा गार्डन मटर या सब्जी मटर है
1-व्यावसायिक किस्में
इनकिस्मो का उपयोग साबुत मटर, दाल के लिये, दाने एवं चारे के लिये किया जाता है। इन किस्मो मे प्रमुख रूप से रचना, स्वर्णरेखा, अपर्णा, हंस, जे.पी.-885, विकास, शुभा्र, पारस, अंबिका आदि है।
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गार्डन मटर- इस वर्ग के किस्मो का उपयोग सब्जियो के लिये किया जाता है। इसकी प्रमुख उन्नत किस्मे निम्न है-
फ़ास्ट किस्में (जल्दी तैयार होने वाली):- ये
किस्मे बोने के लगभग 60-65 दिनो बाद पहली तुड़ाई करने योग्य हो जाती है
जैसे- असोजी, अलास्का, लिंकोलन, काशी नंदनी, पंजाब-88, मटर
अगेती-6, आजाद मटर-3, जवाहर मटर-3, हरभजन, पंत सब्जी मटर-3, पंत सब्जी
मटर-5, पूसा प्रगति, काशी उदय आदि।
मध्यम किस्मेः-
ये किस्मे बोने के लगभग 85-90 दिनो बाद पहली तुड़ाई करने योग्य हो जाती है
जैसे- बोनविले, काशी शक्ति, एन.डी.वी.पी.-8, एन.डी.वी.पी.-10, जवाहर
मटर-1, जवाहर मटर-4, जवाहर मटर-83, पंत उपहार, विवके, आजाद मटर-1, आजाद
मटर-4 आदि।
पछेती किस्मे (देरी से तैयार होने वाली):- ये किस्मे बोने के लगभग 100-110 दिनो बाद पहली तुड़ाई करने योग्य हो जाती है जैसे- आजाद मटर-2, जवाहर मटर-2 आदि। भूमि और जलवायु -
इसकी बीज अंकुरण के लिये औसत 22 डिग्री सेल्सियस एवं अच्छी वृद्धि एवं विकास के लिये 10-18 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है। इसकी सफल खेती के लिये उचित जल निकास क्षमता वाली, जीवांश पदार्थ युक्त दोमट तथा बलुई दोमट मृदा उपयुक्त मानी जाती है।
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बीज की मात्रा -
मटर की खेती में अगेती किस्मो के लिये 100 कि.ग्रा. एवं मध्यम व पछेती किस्मो के लिये 80 कि.ग्रा. बीज प्रति हेक्टेयर लगता है।
बीजोपचार
मटर की खेती में बीजो को बुंवाई से पहले कार्बेंडाजिम या बाविस्टिन (3 ग्राम/कि.ग्रा. बीज) से उपचारित कर बोना चाहिये ताकि बीज एवं मृदा जनित रोगो से बचाव हो सके।
मटर की बुबाई का समय -
मटर की बुंवाई अच्छे उत्पादन के लिये मध्य अक्टूबर से नवंबर माह तक कर लेवे। इसकी बुंवाई हल के पीछे कूड़ो मे या सीड ड्रील द्वारा की जाती है। पौधो की आपस मे दूरी 10 से.मी. एवं कतार से कतार की दूरी 30 से.मी. रखना चाहिये।
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खाद एवं उर्वरकः-
मृदा में खाद व उर्वरक का उपयोग करना लाभकारी रहता है। गोबर या कम्पोस्ट खाद (10-15 टन/हे.) खेत की तैयारी के समय देवें। चूंकि यह दलहनी फसल है इसलिये इसका जड़ नाइट्रोजन स्थिरीकरण का कार्य करता है अतः फसल को कम नाइट्रोजन देने की आवश्यकता पड़ती है। रासायनिक खाद के रूप मे 20-25 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 40-50 कि.ग्रा. फाॅस्फोरस एवं 40-50 कि.ग्रा. पोटाश/हे. बीज बुंवाई के समय ही कतारों में दिया जाना चाहिये। यदि किसान उर्वरको की इस मात्रा को यूरिया, सिंगल सुपर फाॅस्फेट एवं म्यूरेट आफ पोटाश के माध्यम से देना चाहता है तो 1 बोरी यूरिया, 5 बोरी सिंगल सुपर फास्फेट एवं 1.5 बोरी म्यूरेट आफ पोटाश प्रति हेक्टेयर पर्याप्त रहता है।
देखभाल
अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिये खेत को खरपतवारो से मुक्त रखना चाहिये। कम से कम 2 बार निराई-गुड़ाई करना चाहिये। खरपतवारो का रासायनिक नियंत्रण के लिये बासालिन या पेंडीमेथलीन 1-1.5 कि.ग्रा. मात्रा प्रति हेक्टेयर को बुंवाई से पूर्व या बुंवाई के तीन दिन बाद मृदा मे पर्याप्त नमी रहने की अवस्था मे प्रयोग करे। बीज बोने के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करना चाहिये। पहली सिंचाई बंुवाई के 30 दिन बाद या फूल आने से पूर्व करे एवं दूसरी सिंचाई फलियो के निर्माण के समय करना आवश्यक रहता है। सिंचाई मे ध्यान रखे कि अधिक जल भराव से फसल पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। मटर की फसल को ज्यादा पानी कीआवश्यकता नही होती
लगभग 60 से 100 दिनों में मटर से फलियों का उत्पादन शुरू हो जाता है
मटर की उन्नत खेती || Home garden
Reviewed by homegardennet.com
on
अक्टूबर 20, 2017
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