नींबू में होने वाली बीमारियां और रोकथाम


नींबू के पौधों पर कई प्रकार की बीमारियाँ हो सकती हैं। नींबू के पौधों को निम्नलिखित बीमारियों से बचाने और उन्हें ठीक करने के लिए निम्नलिखित कदम उचित हो सकते हैं:

  1. कैंकर (Canker):  यह नींबू की सबसे घातक बीमारी है । यह रोग जैथोमोनस एक्सोनोपीडिया बैक्ट्रीरिया के कारण होता है । यह बीमारी पौधों के ट्विग्स और पत्तियों पर सफेद या बैंगनी रंग के छाले और दागों के रूप में प्रकट होती है। यह बहुत जल्दी पौधे को सुखा देता है । इसे रोकने के लिए पौधों की सही देखभाल, स्वच्छता और संकीर्ण प्रांसंगिक काटाई की आवश्यकता होती है

          रोकथाम - यदि नींबू के पौधे पर कैंकर रोग का संक्रमण है तो संक्रमित पौधे की शाखा के प्रभावित हिस्से को नीचे से सावधानी पूर्वक काटकर हटा दें।  कटे हुए स्थान पर फंगीसाइड दवा का लेप कर दें।
पुराने बगीचे वाले किसान मानसून में बारिश आने से पहले ही पौधों की कटाई , छटाई और सफाई कर दें। और समय समय पर ब्लाइटाक्स 50 स्ट्रैप्टोसाइकिलिन का छिड़काव करते रहे।

नीबू के पौधों पर पत्तियों की सूखा (Leaf Drying): अगर पौधों की पत्तियों पर बूँदों के साथ साथ ब्राउन रंग के पचीने या कच्चे दाग प्रकट होते हैं, तो यह पत्तियों की सूखे की बीमारी का संकेत हो सकता है।
  1. रेड ब्लॉच डिसीज (Red Blotch Disease): इस बीमारी में पौधों के पत्तों पर लाल या गहरे बूँद दिखाई देते हैं, जिनमें धूल जम जाती है। यह फंगल बीमारी होती है और उसे नियंत्रित करने के लिए फफूंद की दवाइयों का उपयोग किया जा सकता है।

  2. नींबू की पत्तियों पर उदासीनता (Leaf Chlorosis): अगर पत्तियाँ पीली हो रही हैं या पत्तियों की रंगत में कमी हो रही है, तो यह पत्तियों की उदासीनता का संकेत हो सकता है। इसकी वजह अक्सर पौधों के पोषण में कमी होती है।

  3. नींबू के पौधों पर वायरस संक्रमण (Viral Infections): वायरस संक्रमण के कारण पौधों की विकासशीलता में कमी हो सकती है और पत्तियाँ या फूल प्रभावित हो सकते हैं।

  4. नींबू के पौधों पर कई प्रकार की बीमारियाँ हो सकती हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:


नींबू के पौधों में कई प्रकार की बीमारियाँ आ सकती हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख बीमारियाँ निम्नलिखित हैं:

1. कैंसर (Canker): यह एक फंगल बीमारी है जो पौधे की शाखाओं और तनों पर हमला करती है।

2. रूट रोट (Root Rot): यह एक फंगल बीमारी है जो पौधे की जड़ों को सड़ा देती है।

3. लीफ स्पॉट (Leaf Spot): यह एक फंगल बीमारी है जो पौधे की पत्तियों पर धब्बे बनाती है।

4. पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery Mildew): यह एक फंगल बीमारी है जो पौधे की पत्तियों पर सफेद पाउडर जैसे धब्बे बनाती है।

5. स्कैब (Scab): यह एक फंगल बीमारी है जो पौधे के फलों पर धब्बे बनाती है।

6. वायरस (Virus): नींबू के पौधों में वायरस के कारण कई प्रकार की बीमारियाँ आ सकती हैं।

7. बैक्टीरियल ब्लाइट (Bacterial Blight): यह एक बैक्टीरियल बीमारी है जो पौधे की पत्तियों और शाखाओं पर हमला करती है।

8. फोमोप्सिस (Fomopsis): यह एक फंगल बीमारी है जो पौधे की शाखाओं और तनों पर हमला करती है।

इन बीमारियों से बचाव के लिए नींबू के पौधों की नियमित देखभाल करनी चाहिए, जैसे कि स्वच्छता बनाए रखना, पौधों को पर्याप्त पानी देना, और कीटनाशक दवाओं का उपयोग करना।

नींबू के पौधों में पर्याप्त वर्षा न होना 
अगर आपके यहां सितम्बर-अक्टूबर के महीनों में पर्याप्त वर्षा नहीं होती है, तो नींबू के पौधों की पत्तियाँ सूख सकती हैं और काली पड़ जाती है। इससे बचाव के लिए जरूरी होने पर नींबू के पौधों में एक बार हल्की सिंचाई जरूर करें।

पानी की अधिकता : नींबू के पौधों में अधिक पानी देने से पौधों में नमी की अधिकता हो जाती और इससे पत्तियां  पीली होना शुरू हो जाती है ।

पौधों पर फंगल और बैक्टीरियल इंफेक्शन: पेड़ों पर फंगल और बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण पत्तियाँ सुकुड़ जाती है।

उचित पौधों की देखभाल न करने की वजह से: समय समय पर नींबू के पौधों की देखभाल न करने से भी उनमें परेशानी हो सकती है, जैसे कि खाद, पानी, प्रशिक्षण, आदि की कमी की वजह से।

अग्रिम बीमारियाँ: कई बार अग्रिम बीमारियाँ भी पौधों की आरामदायक वृद्धि को रोक सकती हैं, जिनमें से कुछ उदाहरण हैं: कूड़ेदार रोग, क्लोरोसिस, डायबेक आदि


नींबू के पौधों पर कैंकर रोग की रोकथाम के लिए निम्नलिखित उपायों का पालन कर सकते हैं:

स्वच्छता और सफाई:
 नींबू के पौधों की सफाई और स्वच्छता का ध्यान रखें। नींबू के पत्तों के निचले हिस्से को नियमित तौर पर काट दें ताकि बीमारियों का प्रसार न हो सके।

अच्छे पौधों का चयन: 
स्वस्थ और मजबूत पौधे चुनने का प्रयास करें। सुरक्षित और स्वस्थ पौधे कैंकर रोग के प्रति प्रतिरक्षा बढ़ा सकते हैं। जिससे आपका यहां अच्छा उत्पादन हो सकेगा।

पौधों से पौधों की दूरी : 
पौधों के बीच की दूरी को सही रखने के लिए उचित फसल संरचना का पालन करें। यह नींबू के पौधों के बीच बैक्टीरिया के प्रसार को कम कर सकता है और बीमारियों की प्रसारण रोक सकता है।

रोग प्रतिरोधक पौधे:
 कुछ प्रकार के नींबू पौधे कैंकर रोग के प्रति प्रतिरोधक हो सकते हैं। विशेषज्ञ से सलाह लेकर ऐसे पौधों का चयन करें जो रोग के प्रति प्रतिरोधक हो सकते हैं।

नींबू की बीमारियों का उपचार : 
 नींबू के प्रमुख बीमारियों में केंकर रोग एक प्रमुख बीमारी है यह नींबू के पौधे को सुखा देती है। इसके अलावा मकड़ी भी नींबू की पत्तियों को खराब करती है । नींबू पर नई ग्रोथ आने पर तुरंत मकड़ी रोधी दवा का छिड़काव जरूर करें। मकड़ी के लिय Oberon दवा सबसे अच्छी रहती है ।

नींबू को खाद देना : 
 नींबू के पौधों के लिए जरूरी उर्वरकों का प्रयोग करके पौधों को मजबूती देने का प्रयास करें। उर्वरकों की सही मात्रा और खाद समय पर देना बीमारियों से बचाव में मदद कर सकता है। नींबू के पौधे को साल में दो बार खाद देना सही रहता है।
अक्टूबर - नवम्बर में और जुलाई अगस्त के महीने में खाद दीजिए जब नींबू पर फूल - फल आने की शुरुआत होती है। 

नींबू के पौधों को स्वस्थ रखने के लिए स्वच्छता, सही पोषण, उचित प्रूनिंग, और कीटनाशकों का सही उपयोग किया जा सकता है। यदि आपके पौधों पर किसी विशेष बीमारी के संकेत दिखाई देते हैं, तो स्थानीय कृषि अधिकारी से सलाह से सलाह लेकर तुरंत उपचार करें ।


नींबू पर फल कैसे लें

नींबू की देखभाल करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें:


1. सूरज की रोशनी: नींबू के पौधे को पूरे दिन सूरज की रोशनी में रखना चाहिए।


2. पानी देना: नियमित रूप से पानी दें, लेकिन ज्यादा पानी न दें जिससे जड़ें सड़ जाएं।


3. मिट्टी: नींबू के पौधे को अच्छी तरह से जलने वाली मिट्टी में लगाएं।


4. उर्वरक: नियमित रूप से उर्वरक देने से पौधे की वृद्धि अच्छी होती है।


5. कीटों से बचाव: नींबू के पौधे को कीटों से बचाने के लिए कीटनाशक दवाओं का उपयोग करें।


6. तापमान: नींबू के पौधे को 10-30 डिग्री सेल्सियस तापमान में रखना चाहिए।


7. प्रूनिंग: नियमित रूप से प्रूनिंग करने से पौधे की शाखाएं मजबूत होती हैं और ज्यादा फल लगते हैं।


8. समर्थन: नींबू के पौधे को समर्थन देने के लिए खंभे का उपयोग करें।


9. मिट्टी का pH: नींबू के पौधे को 6.0-7.0 pH वाली मिट्टी में लगाएं।


10. नियमित जांच: नियमित रूप से पौधे की जांच करें और आवश्यक देखभाल करें।


इन बातों का ध्यान रखकर आप अपने नींबू के पौधे की अच्छी देखभाल कर सकते हैं और ज्यादा फल प्राप्त कर सकते हैं।

नींबू की कुछ अच्छी किस्में निम्नलिखित हैं ¹:


- *पूसा उदित*: यह किस्म उत्तर भारत में सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है और इसके फल जुलाई, अगस्त और फरवरी से अप्रैल के बीच में तैयार हो जाते हैं।

- *पूसा अभिनव*: यह किस्म भी उत्तर भारत में सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है और इसके फल जुलाई, अगस्त और फरवरी से अप्रैल के बीच में तैयार हो जाते हैं।

- *कागजी कला*: यह एक पुरानी किस्म है और इसके फल लगभग 20 जून के आसपास पककर तैयार हो जाते हैं।

- *पूसा लेमन वन*: यह एक नई किस्म है और इसके फल लगभग 20 जून के आसपास पककर तैयार हो जाते हैं।

नींबू का पौधा लगाने का सबसे अच्छा समय वसंत ऋतु (फरवरी से अप्रैल) और शरद ऋतु (सितंबर से नवंबर) होता है। इस समय तापमान और आर्द्रता अनुकूल होती है, जिससे पौधे को विकास करने में मदद मिलती है।


वसंत ऋतु में लगाने से पौधा गर्मियों में तेजी से विकास करेगा, जबकि शरद ऋतु में लगाने से पौधा सर्दियों में धीरे-धीरे विकास करेगा।


नींबू का पौधा लगाने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए:


1. मिट्टी की तैयारी: मिट्टी को अच्छी तरह से जुताई करें और आवश्यक उर्वरक डालें।

2. पौधे का चयन: स्वस्थ और मजबूत पौधा चुनें।

3. पौधे की देखभाल: पौधे को नियमित रूप से पानी दें और आवश्यक देखभाल करें।


नींबू का पौधा लगाने के लिए उपयुक्त तापमान 20-30 डिग्री सेल्सियस होता है।



नींबू में होने वाली बीमारियां और रोकथाम नींबू में होने वाली बीमारियां और रोकथाम Reviewed by homegardennet.com on अगस्त 09, 2024 Rating: 5

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