गमले में अमरूद उगाने की पूरी जानकारी

            


गमले में अमरूद उगाने की पूरी जानकारी
 संपूर्ण जानकारी
अमरूद एक स्वादिष्ट और पौष्टिक फल है, जिसे उगाना अपेक्षाकृत आसान है। यदि आपके पास सीमित जगह है या आप बालकनी या छत पर बागवानी करना चाहते हैं, तो गमले में भी अमरूद उगा सकते है। गमले में अमरूद उगाने से आप न केवल ताज़े फल प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि यह आपके घर को एक सुंदर और हरा-भरा रूप भी देगा। इस लेख में हम गमले में अमरूद उगाने की पूरी जानकारी आपको देगें

1. सही गमले का चुनाव:
गमले में अमरूद उगाने की सफलता काफी हद तक सही गमले के चुनाव पर निर्भर करती है। अमरूद के पौधे की जड़ों को विकसित होने के लिए पर्याप्त जगह की आवश्यकता होती है, इसलिए एक बड़े आकार का गमला चुनना महत्वपूर्ण है।

 * आकार: कम से कम 15-20 इंच (लगभग 57-76 लीटर) क्षमता वाला गमला चुनें। शुरुआती वर्षों में आप थोड़े छोटे गमले का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन पौधे के बढ़ने पर इसे बड़े गमले में स्थानांतरित करना होगा। बड़े गमले में मिट्टी अधिक समय तक नमी बनाए रखती है और जड़ों को फैलने के लिए अधिक जगह मिलती है।


 * सामग्री: गमले विभिन्न सामग्रियों जैसे मिट्टी, प्लास्टिक, फाइबरग्लास आदि से बने हो सकते हैं। मिट्टी के गमले हवा के संचार के लिए अच्छे होते हैं, लेकिन वे भारी होते हैं और जल्दी सूख सकते हैं। प्लास्टिक के गमले हल्के होते हैं और नमी को अधिक समय तक बनाए रखते हैं, लेकिन उनमें हवा का संचार कम होता है। फाइबरग्लास के गमले हल्के और टिकाऊ होते हैं और अच्छा जल निकासी प्रदान करते हैं। आप अपनी सुविधा और जलवायु के अनुसार किसी भी प्रकार का गमला चुन सकते हैं।
 * जल निकासी: गमले में उचित जल निकासी छेद होना अत्यंत आवश्यक है। अतिरिक्त पानी निकलने की व्यवस्था न होने पर जड़ों में सड़न हो सकती है, जो पौधे के लिए घातक है। यदि आपके गमले में पर्याप्त जल निकासी छेद नहीं हैं, तो आप अतिरिक्त छेद बना सकते हैं या गमले के तल पर बजरी या कंकड़ की एक परत बिछा सकते हैं ताकि पानी आसानी से निकल सके।

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2. अमरूद की सही किस्म का चुनाव:
गमले में उगाने के लिए अमरूद की कुछ बौनी या अर्ध-बौनी किस्में अधिक उपयुक्त होती हैं क्योंकि वे आकार में छोटी होती हैं और गमले के वातावरण में आसानी से समायोजित हो जाती हैं। कुछ लोकप्रिय किस्में इस प्रकार हैं:

 * लखनऊ-49 (सरदार): यह एक लोकप्रिय किस्म है जो अपने मीठे और स्वादिष्ट फलों के लिए जानी जाती है। इसके पौधे मध्यम आकार के होते हैं और गमले के लिए उपयुक्त हो सकते हैं।

 * इलाहाबाद सफेदा: यह भी एक प्रसिद्ध किस्म है जिसके फल गोल और सफेद गूदे वाले होते हैं। यह किस्म अच्छी उपज देती है और गमले में उगाने के लिए उपयुक्त है।

 * अर्का मृदुला: यह एक बौनी किस्म है जो गमले में उगाने के लिए विशेष रूप से विकसित की गई है। इसके फल मीठे और कम बीज वाले होते हैं।

 * ताईवान पिंक: यह एक आकर्षक किस्म है जिसके फल गुलाबी रंग के गूदे वाले होते हैं। यह किस्म भी गमले में उगाने के लिए अच्छी मानी जाती है।

 * रेड डायमंड: यह एक नई किस्म है जिसके फल लाल रंग के होते हैं और इनका स्वाद भी अच्छा होता है। यह किस्म भी गमले में उगाई जा सकती है।

पौधे खरीदते समय, सुनिश्चित करें कि वह स्वस्थ हो, उसमें कोई रोग या कीट न लगे हों और वह अच्छी गुणवत्ता वाली नर्सरी से खरीदा गया हो। ग्राफ्टेड पौधे गमले में उगाने के लिए बेहतर होते हैं क्योंकि वे जल्दी फल देना शुरू कर देते हैं।

3. मिट्टी तैयार करना:
अमरूद के पौधे को अच्छी वृद्धि और फलने के लिए उपजाऊ और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है। आप निम्नलिखित घटकों को मिलाकर एक आदर्श मिट्टी का मिश्रण तैयार कर सकते हैं:

 * बगीचे की मिट्टी: 40% अच्छी गुणवत्ता वाली बगीचे की मिट्टी लें।
 * गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट: 30% अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट मिलाएं। यह मिट्टी को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करेगा और जल निकासी में सुधार करेगा।



 * रेत या परलाइट: 30% रेत या परलाइट मिलाएं। यह मिट्टी को हल्का और झरझरा बनाएगा, जिससे जड़ों को आसानी से ऑक्सीजन मिल सकेगी और अतिरिक्त पानी निकल जाएगा।
 * नीम खली: मिट्टी में थोड़ी मात्रा में नीम खली मिलाने से मिट्टी में मौजूद हानिकारक कीटों और बीमारियों से बचाव होगा।
सभी घटकों को अच्छी तरह से मिलाएं ताकि एक समान मिश्रण तैयार हो जाए। गमले के तल पर जल निकासी के लिए बजरी या कंकड़ की एक परत बिछाना न भूलें।

4. पौधा लगाना:
गमले में अमरूद का पौधा लगाने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

 * सबसे पहले, तैयार मिट्टी के मिश्रण को गमले में भरें, लेकिन ऊपर से लगभग 2-3 इंच खाली जगह छोड़ दें।

 * पौधे को उसकी पुरानी नर्सरी की थैली या गमले से सावधानीपूर्वक निकालें, ध्यान रहे कि जड़ों को कोई नुकसान न पहुंचे। यदि जड़ें आपस में उलझी हुई हैं, तो उन्हें हल्के हाथों से सुलझा लें।

 * गमले के केंद्र में एक गड्ढा बनाएं जो पौधे की जड़ बॉल से थोड़ा बड़ा हो।
 * पौधे को गड्ढे में रखें ताकि जड़ बॉल का ऊपरी हिस्सा गमले की मिट्टी की सतह के बराबर हो।
 * गड्ढे को धीरे-धीरे तैयार मिट्टी के मिश्रण से भर दें और हल्के हाथों से दबाएं ताकि मिट्टी जड़ों के आसपास अच्छी तरह से बैठ जाए।

 * पौधा लगाने के तुरंत बाद अच्छी तरह से पानी दें।



5. पानी देना:

गमले में लगे अमरूद के पौधे को नियमित रूप से पानी देना महत्वपूर्ण है, खासकर शुरुआती वर्षों में और फल लगने के दौरान। मिट्टी की नमी की जांच करते रहें। जब मिट्टी की ऊपरी परत सूखी लगे, तो पानी दें। गर्मियों में आपको अधिक बार पानी देने की आवश्यकता हो सकती है, जबकि सर्दियों में पानी की मात्रा कम कर दें। ध्यान रखें कि गमले में पानी जमा नहीं होना चाहिए, इसलिए सुनिश्चित करें कि जल निकासी अच्छी हो।


6. खाद डालना:
गमले में लगे अमरूद के पौधे को स्वस्थ वृद्धि और अच्छी फलत के लिए नियमित रूप से खाद की आवश्यकता होती है।
 * शुरुआती अवस्था: पहले वर्ष में, पौधे को हर 2-3 महीने में संतुलित तरल उर्वरक (जैसे एनपीके 19:19:19) की थोड़ी मात्रा दें।

 * फल लगने की अवस्था: जब पौधा फल देना शुरू कर दे, तो आप जैविक खाद जैसे गोबर की खाद, वर्मीकम्पोस्ट या हड्डी का चूरा हर 3-4 महीने में एक बार दे सकते हैं। आप फल लगने से पहले फास्फोरस और पोटेशियम युक्त उर्वरक का भी उपयोग कर सकते हैं।
 * खाद की मात्रा: खाद की मात्रा पौधे के आकार और उम्र पर निर्भर करती है। हमेशा उर्वरक के पैकेट पर दिए गए निर्देशों का पालन करें।
 * देने का तरीका: ठोस खाद को गमले की मिट्टी में मिलाएं और तरल उर्वरक को पानी में मिलाकर पौधे की जड़ों में डालें।

7. धूप:
अमरूद के पौधे को अच्छी वृद्धि और फलने के लिए प्रतिदिन कम से कम 6-8 घंटे सीधी धूप की आवश्यकता होती है। गमले को ऐसे स्थान पर रखें जहाँ उसे पर्याप्त धूप मिल सके। यदि आपके क्षेत्र में धूप कम आती है, तो आप पौधे को समय-समय पर घुमा सकते हैं ताकि सभी हिस्सों को समान रूप से धूप मिले।


8. प्रूनिंग (छंटाई):
गमले में लगे अमरूद के पौधे की नियमित रूप से प्रूनिंग करना आवश्यक है ताकि उसे एक अच्छा आकार दिया जा सके, हवा का संचार बना रहे और अधिक फल लग सकें।
 * शुरुआती प्रूनिंग: जब पौधा छोटा हो, तो उसकी मुख्य शाखाओं को प्रोत्साहित करने के लिए ऊपरी सिरे को काट दें।
 * रखरखाव प्रूनिंग: सूखी, रोगग्रस्त या कमजोर शाखाओं को नियमित रूप से काटते रहें। घनी शाखाओं को भी पतला करें ताकि पौधे के अंदर धूप और हवा पहुंच सके।
 * फल लगने के बाद प्रूनिंग: फल तोड़ने के बाद, उन शाखाओं की हल्की छंटाई करें जिन पर फल लगे थे। इससे नई शाखाओं को विकास करने का मौका मिलेगा।
 * प्रूनिंग का समय: प्रूनिंग के लिए सबसे अच्छा समय सर्दियों के अंत या वसंत की शुरुआत है, जब पौधा निष्क्रिय अवस्था में होता है।
9. कीट और रोग नियंत्रण:
गमले में लगे अमरूद के पौधे में भी कीट और रोग लग सकते हैं। कुछ सामान्य कीटों में एफिड्स, स्केल और मिली बग शामिल हैं। रोगों में पत्ती धब्बा और फल सड़न आम हैं।
 * निवारण: स्वस्थ मिट्टी का उपयोग करें, उचित जल निकासी सुनिश्चित करें और पौधे को अच्छी धूप और हवा प्रदान करें।
 * नियंत्रण: यदि आपको कीट या रोग दिखाई दें, तो तुरंत कार्रवाई करें। हल्के संक्रमण के लिए, आप साबुन के पानी का घोल या नीम के तेल का स्प्रे इस्तेमाल कर सकते हैं। गंभीर संक्रमण के लिए, आप रासायनिक कीटनाशकों या फफूंदनाशकों का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन उनका उपयोग सावधानी से करें और निर्देशों का पालन करें।





10. परागण:
अमरूद के फूल आमतौर पर स्वयं-परागित होते हैं, जिसका अर्थ है कि उन्हें फल लगने के लिए किसी अन्य पौधे की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि, कुछ किस्मों में बेहतर फलत के लिए क्रॉस-परागण फायदेमंद हो सकता है। यदि आपके पास केवल एक ही पौधा है, तो आप हाथ से परागण कर सकते हैं। इसके लिए, एक नरम ब्रश का उपयोग करके एक फूल से पराग को दूसरे फूल के वर्तिकाग्र पर स्थानांतरित करें।
11. फल तोड़ना:
अमरूद के फल पकने पर अपना रंग बदलते हैं और नरम हो जाते हैं। किस्म के आधार पर, फल का रंग हरा, पीला या गुलाबी हो सकता है। जब फल हल्के दबाव में दबने लगे और उसमें से एक मीठी खुशबू आने लगे, तो समझ लें कि वह तोड़ने के लिए तैयार है। फलों को सावधानीपूर्वक तोड़ें ताकि पौधे को नुकसान न पहुंचे।

12. सर्दियों में देखभाल:
हालांकि भारत के अधिकांश हिस्सों में सर्दियाँ बहुत कठोर नहीं होती हैं, लेकिन यदि आपके क्षेत्र में तापमान बहुत कम हो जाता है, तो आपको अपने गमले में लगे अमरूद के पौधे की सुरक्षा करनी चाहिए। आप गमले को घर के अंदर या किसी सुरक्षित स्थान पर ले जा सकते हैं। पानी देना कम कर दें और पौधे को ठंडी हवा से बचाएं।

13. गमला बदलना (Repotting):
जैसे-जैसे आपका अमरूद का पौधा बढ़ता है, उसकी जड़ें गमले में भर जाएंगी। लगभग हर 2-3 साल में आपको पौधे को एक बड़े गमले में स्थानांतरित करने की आवश्यकता होगी। गमला बदलने का सबसे अच्छा समय वसंत की शुरुआत है। नए गमले में अच्छी गुणवत्ता वाली मिट्टी का मिश्रण भरें और पौधे को सावधानीपूर्वक नए गमले में लगाएं।
गमले में अमरूद उगाने के फायदे:

 * सीमित स्थान के लिए आदर्श: बालकनी, छत या छोटे बगीचों के लिए बिल्कुल सही।
 * नियंत्रित वातावरण: आप मिट्टी की गुणवत्ता, पानी और धूप की मात्रा को नियंत्रित कर सकते हैं।
 * स्थानांतरण में आसानी: यदि आवश्यक हो, तो आप गमले को आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जा सकते हैं।
 * सजावटी मूल्य: फलदार पौधा आपके घर को एक सुंदर और हरा-भरा रूप देता है।
 * ताज़े फल: आप अपने घर पर ही ताज़े और स्वस्थ अमरूद का आनंद ले सकते हैं।
निष्कर्ष:
गमले में अमरूद उगाना एक संतोषजनक और फायदेमंद अनुभव हो सकता है। सही किस्म का चुनाव, उचित देखभाल और नियमित रखरखाव से आप अपने घर पर ही स्वादिष्ट और पौष्टिक अमरूद प्राप्त कर सकते हैं। धैर्य और लगन से, आप निश्चित रूप से एक स्वस्थ और फलदायी अमरूद का पौधा उगा पाएंगे। यह न केवल आपको ताज़े फल देगा बल्कि आपके आसपास के वातावरण को भी सुंदर बनाएगा। तो, क्यों न आज ही गमले में अमरूद उगाने की शुरुआत करें!

गमले में अमरूद उगाने की पूरी जानकारी गमले में अमरूद उगाने की पूरी जानकारी Reviewed by homegardennet.com on मई 14, 2025 Rating: 5

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